चिरकाल से लोग घरो में साल भर का अनाज और बाकि ज़रुरत के वस्तुओ का संग्रह करते आये हैं जिसके लिए घर के कुछ हिस्सों को नामित किया जाता था। परन्तु आजकल सिमित परिवार और छोटे घरो के कारन घरो में अलग भण्डारण क्षेत्रों की परमपरा छोड़ कर लोग रसोईघर, शयनकक्ष या भोजनकक्ष में ज़्यादातर वस्तुओं को अनुकूलित कर लेते हैं। घरों में क्षेत्र की कमी होने पर भी भारतीय परिवारजन अपने सालो पुराने पारम्परिक वास्तु शास्त्र का पालन करते हैं ताकि घर में शान्ति और खुशहाली बानी रहे।
वास्तु शास्त्र के भण्डारण विधियों से सम्बंधित नियमो के अनुसार घर में खाद्य पदार्थो का भण्डारण हमेशा मध्य पूर्व दिशा में होना चाहिए। इसीलिए रेफ्रीजिरेटर और सूखे रसद के सामान को मध्यपूर्व दिशा में रखें। अगर अनाज और बाकि वस्तुओ के लिए अलग भंडारण क्षेत्र न हो तो घर के अंदर उचित दिशा में रखना अनिवार्य है क्योकि इससे घर के सदस्यों के आर्थिक मानसिक एवं शारीरिक स्थितियों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इस विचार पुस्तक में कुछ भण्डारण सम्बंधित वास्तु विशेष नियमो के उल्लेख किया गया है ताकि घर के सदस्यों का आर्थिक और मानसिक संतुलन बना रहे।
उत्तरपूर्वी दिशा में अनाज भण्डारण रखने से घर में कभी खाने पिने में कमी नहीं होगी और अगर यह भण्डारण पश्चिम दिशा में हो तो घर के बच्चे हर कार्यक्षेत्र में लाभ पाते हैं तथा मुखिया बुद्धिमान और सफल होता है। उत्तरपूर्वी दिशा वाले भण्डारण क्षेत्र के गृहस्वामी घूमने के शौकीन होते हैं तथा माता-पिता धार्मिक और दान पुण्य करने वाले होते हैं।
अगर घर में खाद्य पदार्थो को रखने के लिए अलग कमरा है जो पूर्व दिशा में है तो अकसर घर के कमाने वाले व्यक्तियों को आजीविका के लिए ज्यादा यात्रा करनी पड़ती है। दक्षिण पूर्व हिस्से में खाद्य भण्डारण होने से घर में आने वाले खाद्य पदार्थो की कीमते बढ़ जाती है अथवा कमानेवालो की आमदनी में बढ़ती महंगाई के मुताबिक कमाई में बढ़ोतरी नहीं होती। घर के सदस्यों में कलह होती है और अनाज में कीड़े लग जाते हैं। कई बार घर के सदस्यों पेट से सम्बंधित मुश्किलों से ग्रसित रहते हैं क्योकि घर में पौष्टिक आहार नहीं बनता।
घर में खाद्य पदार्थ चाहे अलग भंडार घर में हो या रसोईघर, दोनों स्थानों में खिड़कियों का गहरा महत्व है। अगर ये दाएं और हो तो घर के कमाने वालो का समाज में प्रतिष्ठा बढ़ेगी और ये इनकी कमाई में भी वृद्धि होगी। बाएं ओर की खिड़कियों से रौशनी कम आती है जिसके कारन अनाज में कीड़े लग सकते हैं ओर घर-परिवार के सदस्यों में गलतफहमियों के कारण मन-मुटाव चलते रहते हैं।
यदि घर के भोजनस्थल के अंदर खाद्य भण्डारण जो या ये कक्ष भोजन कमरे से जुड़ा हुआ हो, तो उस घर के लोग बुद्धिमान और समृद्ध होते हैं तथा कलात्मक क्षेत्र से जुड़े होते है जैसे लेखन, चित्रकारी इत्यादि तथा इन परिवारों के मुखिया सात्विक, गुणी और अच्छे व्यक्तित्व के होने है साथ अपने सहयोगियों का भी हमेशा सहयोग प्राप्त करते हैं।
यदि घर की रसोई के अंदर या उससे जुड़े स्टोर रूम में अनाज रखे जाएं, तो उस परिवार को अपने करियर प्रफेशन और धंधे में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हें कमाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है और सारी कमाई खर्च हो जाती है।
उत्तर पश्चिम दिशा भी अनाज भंडारण के लिए शुभ होती है और यदि इसमें पूजा का स्थान हो, तो अतिउत्तम होता है। इन घरो में रहने वाले परिवार आर्थिक रूप से सम्पन्न तथा समाज में सम्मान प्राप्त करते हैं। घर के मुखिया यात्रा के शौकीन और गृह स्वामिनी बुद्धिमान होती है।
यदि आपका भण्डारण गलियारे में है जो संकरा हो या बाथरूम के आस-पास के नाली के ऊपर हो तो , यह दर्शाता है कि घर के कमाने वाले लोग मेहनत करके अच्छे कमाई होने पर भी अशांत और अप्रसन्न रहते हैं।
यदि भण्डारण का रास्ता शयनकक्ष से निकल कर जाता हो या इस कमरे से जुड़ा हो तो ऐसे घर की स्वामिनी भाग्यशाली होती है। इन घरो में मुखिया की तरक्की भी शादी के बाद जब पत्नी आती है तब ही शुरू होती है। अगर खाद्यान के भण्डारण क्षेत्र में परिवार के गहने-कपड़े इत्यादि रखे जाएं या घर में एक ही भण्डारण क्षेत्र हो तो घर के सदस्य पैसे उधार देने का काम करते हैं या बड़े सौदों से पैसा कमाते हैं।
वास्तु शास्त्र और बैठक कक्ष से जुड़े कुछ ओर अधिनियमों को इसे विचारपुस्तक में पाएं।